मैं तो 'काले' को 'काला' ही कहूँगा और 'सफेद' को 'सफेद' भी, आप की मर्जी आप मुझे जो कुछ भी कहो . . .
रविवार, 31 जनवरी 2010
धन्यवाद आदरणीय अरविन्द मिश्र जी . . . . . . . . . . . . . . . प्रवीण शाह।
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मेरे मौसम के सताये मित्रों,
जब बहुत ज्यादा सर्दी पड़ रही थी, ठीक उसी समय यहाँ... तथा यहाँ पर भी... कहा गया कि चार फरवरी तक उत्तर भारत को कोई राहत नहीं मिल रही, यहाँ पर भी विद्वान लेखक ने यह कहकर कि प्रबल शीतलहर से भी अभी पूर्णत: मुक्ति मिलने का कोई योग नहीं है। अपने को तो डरा ही दिया...
ऐसे कठिन समय में आदरणीय अरविन्द मिश्र जी ने कहा कि...
मेरे हिसाब से तो मौसम में २६ जनवरी के से ही स्पष्ट चमत्कारिक बदलाव आना शुरू हो जायेगा -खूब सूरज की रोशनी मिलेगी -ठंडक काफूर हो जायेगी -४ परवरी तक तो मौसम पूरी तरह सामान्य हो जायेगा ! २७-३० के बीच थोड़ी वर्षा के भी योग हैं !
अब देखना है संगीता जी की भविष्यवाणी सच होती है या मेरी -मेथोदोलोजी दोनों की एक है आगमनात्मक ! मैं निर्गमनात्मक का अल्पग्य हूँ मगर इस बार रिस्क ले रहा हूँ !
January 23, 2010 8:20 PM
मैं तो डिप्रेशन में ही जा रहा था, पर आदरणीय अरविन्द मिश्र जी के इस कथन ने हिम्मत बंधाई।
26 जनवरी को ध्वजारोहण किया, उसके एकाध घन्टे बाद धूप निकल आई, 27 से 30 तक लगातार हमने अपनी मेज कुर्सी धूप में बाहर निकालकर काम किया, आज रविवार के दिन जब बिटिया के साथ छत पर धूप-सेंकन हो रहा है तथा आगे भी हमारे सुख में खलल पड़ने की कोई उम्मीद फिलहाल नहीं ही है, तो मन किया कि आदरणीय अरविन्द मिश्र जी को धन्यवाद तो दे ही दें।
अत: पुनश्च धन्यवाद आदरणीय अरविन्द मिश्र जी
तथा ...... :)
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16 टिप्पणियां:
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मैं इस पोस्ट और मिसिर जी की भविष्यवाणी का गत्यात्मक विश्लेषण कर रहा हूँ।
जवाब देंहटाएं:)
वैसे एक वैज्ञानिक को जोतिखी बनने की का जरूरत थी ? बड़के भैया से यह प्रश्न है।
प्रवीण शाह जी,
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट को लिखने के लिए कम से कम 4 फरवरी तक का तो इंतजार कर लेते .. कोहरा 28 तारीख की सुबह तक बना हुआ था 29 और 30 जनवरी को मंगल और चंद्र के साथ होने से दो दिन के लिए हट गया .. चलिए इतनी जल्दी आप खुश भी हो गए .. आज 30 जनवरी की रिपोर्ट तो पढ लेते .. जिसमें मौसम वैज्ञानिकों का भी कहना है कि अभी शीत लहर जारी रहेगी।
भविष्यवाणियों की तो आप जानें। पर आप सब लोग सर्दी को खराब मौसम कह रहे हैं इस पर अपनी घोर आपत्ति है। सर्दी का खुशहाल मौसम जिस में सेहत बनाने, तरह तरह के कपड़े पहनने, जम कर खाने, मालिश-वर्जिश करने, भारी भरकम रजाई ओढ़ कर लंबी तानने के मौके मिलते हैं। लगता है सब लोग जल्दी ही बुढ़ा गए हैं। वरना ऐसा न कहते।
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी से सहमति के साथ निवेदन है कि सर्दी का अपना मज़ा है. यह भी हर किसी को कहां नसीब होता है.
जवाब देंहटाएंमज़े लीजिये . पहले ज्यादा सर्दी के ज्यादा मज़े ,अब कम सर्दी के कम मज़े.
शुभकामनायें
आखिर कोई तो गुण ग्राहक है ब्लॉग जगत में -प्रवीण जी , बहुत आभार और धन्यवाद के लिए धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंमैं केवल यह इंगित कर रहा था की फलित ज्योतिष महज अटकल बाजी के सिवा कुछ नहीं है -मगर मुझे भी इतने सटीक भविष्यकथन की उम्मीद नहीं थी -यह तो लगता है मेरी वाणी पर मां सरस्वती विराज गयीं -
इस समय तो बनारस में ३७ डिग्री तक तापक्रम जा पहुंचा है ,यही हाल लखनऊ का है !
अब तो संगीता जी और बटालियन समाज के लिए कुछ सकारात्मक काम करते !
सिक्का शायद बढ़िया औजार है भविष्य वाणी का!
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी,पहले तोएक नजर यहाँऔरयहाँडाल लीजिए...तब विचार कीजिए कि कहीं अरविन्द मिश्र जी को फोकट में ही तो धन्यवाद नहीं बाँट रहे :)
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंआज ही अखबार में खबर पढ़ी तो अचंम्भित रह गया--
जवाब देंहटाएंज्योतिषी के घर चोरी.
...अरे नहीं, मैं अरविन्द मिश्र जी की बात नहीं कर रहा जिनके घर चोरी हुई वे तो पुराने व पर्तिष्टिथ ज्योतिष हैं.
तुलसी इस संसार में..भांति भांति के लोग...
जवाब देंहटाएं@पंडित जी की बात पर भी ध्यान दीजिये ! उन्हें भी किसी अवसर पर धन्यवाद कीजिये न -ऐसा अवसर वे लायेगें ही !
जवाब देंहटाएं@तुलसी इस संसार में..भांति भांति के लोग..
जवाब देंहटाएंअरे भाई, सर्दी जाते जाते ही जाएगी न. वैसे आजकल मौसम गुनगुने धुप में सर्दी का लुत्फ़ लेने लायक है.
जवाब देंहटाएं- सुलभ
achha hai....
जवाब देंहटाएंmujhe sardiyaan pasand nahi...sardiyon mei aazadi khatam si lagti hai
बढिया है।
जवाब देंहटाएंकुछ नया भी बांचें।
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संवाद सम्मान 2009
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